#GiveMyRights® अपने सभी कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों का धन्यवाद करता है। आप सभी के सहयोग से ही हमनें इस संकट के समय में यथासंभव राहत कार्य करने के संकल्प को अब तक निभाया है। आप सभी ने न केवल लोगों को भोजन-पानी-राशन इत्यादि पहुँचाने में हमारी मदद की बल्कि लोगों को अस्पताल पहुंचाने,रक्तदान करके तथा सरकार के द्वारा किये जा रहे राहत कार्यों की जानकारी लोगों तक पहुँचाकर अपने देश के प्रति समर्पण और संगठन के चरित्र को दर्शाया है।
पिछले 4 दिनों से उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा किये गए प्रबन्ध संतोषजनक रहे हैं। अब भूँख से व्याकुल पैदल लोग बहुत कम दिख रहे हैं। इस संकट से जैसे हम सबने मिलकर मुकाबला किया है वही तो सच्चा राष्ट्रप्रेम है..😊🙏
नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:#GiveMyRights®)
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अगर हमने ईमानदारी से लॉकडाउन और कोरोना से उपजी समस्याओं को स्वीकार कर उन्हें हल करने की दिशा में एकजुट होकर प्रयास नही किया, तो स्थिति हद से ज्यादा खराब हो जाएगी। यह कड़वी सच्चाई है कि तमाम प्रयासों के बाद भी न तो लॉकडाउन का पालन सही तरह से हो सका और न ही अप्रवासी लोगों को स्थानीय प्रशासन पर्याप्त सहायता करके विश्वास दिलाने में कामयाब रहा कि सरकार असमर्थ लोगों के साथ है।
भारत जैसे बड़ी और अधिकांशतः कम पढ़ी लिखी जनता वाले देश में आपातकाल में व्यवस्था बनाये रखना आसान काम नही है। लेकिन इस सच्चाई से मुँह मोड़ लेना और आँखों देखी समस्याओं को झुठलाना हमारे असंवेदनशील रवैये की बानगी देता है। राहत कार्यों की अपर्याप्ता का प्रमुख कारण भ्रष्टाचार और सरकार द्वारा घोषित व्यवस्थाओं का क्रियान्वयन न हो पाना है।
"पॉलिसी पैरालिसिस नही,इम्प्लीमेंटेशन पैरालिसिस है!"
शराब की दुकानों पर लंबी लाइन देखकर ये न मान बैठिए कि सिर्फ असहाय कमज़ोर लोग ही शराब पीते हैं और सभी लोगों की समस्याओं का अंत हो गया,सब धन धान्य से पूर्ण हो गए और सभी को सरकारी राहत मिल गयी। हाँ सरकार की मंशा और मेहनत से बहुत राहत मिली है भूँख से जूझती जनता को, लेकिन अभी भी हज़ारों घरों में समस्या है।
इसलिए #GiveMyRights® द्वारा पिछले 43 दिनों से निरन्तर जारी खाद्यान्न वितरण के कुछ चित्र पोस्ट कर रहा हूँ,जिससे कि हमारा ध्यान इस समस्या से हट कर सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप पर ही न सिमट जाए। यह लड़ाई लंबी है,हम सभी को लगातार बिना थके बिना रुके इसे लड़ना है और जीतना है।
"अभी नही है अंत,अभी हुई शुरुआत है,
दीपक बन हमको जलना होगा,जब तक काली रात है।"
~नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:#GiveMyRights)
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गवर्नमेंट सर्वेंट वास्तव में पब्लिक सर्वेंट होता है,तथा जनता द्वारा चुनी हुई सरकार जो कि जनता की प्रतिनिधि होती है,के निर्देशन में जनता की सेवा करने का काम करता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता को दो बातें गाँठ बाँध लेनी चाहिए..पहली,सरकार जनता की मालिक नही बल्कि प्रतिनिधि है तथा दूसरी बात, कि सरकारी नौकर जनता की सेवा के लिए है। इन दोनों का धर्म है, जनता के हित के विषय में सोचना और कार्य करना,और जनता को भी सेवा के बदले इन्हें सम्मान देना चाहिए।
अधिकतर पाश्चात्य देशों में सरकारी अधिकारी किसी भी सामान्य से व्यक्ति से बात करते समय उनकी भाषा में आदर सूचक शब्दों का प्रयोग ही करते हैं। पाश्चात्य ही क्यों पुरातन भारत के इतिहास में भी राजा और मन्त्रीगण शिष्टतापूर्ण व्यवहार ही करते दिखाई पड़ते हैं। जनता का आदर व सम्मान ही रामराज्य की पहचान है।
दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि गुलामी के दौर में राजा प्रजा का प्रतिनिधि नही बल्कि शासक बनकर उभरा और शासक के द्वारा जनता का शोषण अधिकारियों के माध्यम से शुरू हुआ। और यहीं से आम जनता के मन में अधिकारियों की छवि मालिक और माईबाप की बन गयी, क्योंकि हमें याद ही नही रह गया कि हम अब मुगलों और अंग्रेजों से आज़ाद हो चुके हैं और एक ऐसे भारत में रहते हैं जहाँ की सरकार जनता की प्रतिनिधि होती है और अधिकारी जनता के सेवक...और यह बोध जब तक प्रत्येक साधारण और विशिष्ट व्यक्ति को नही होगा तब तक एक लोकतंत्र के रूप में हम पूर्ण नही हो सकते।
आज दो भारत दिखते हैं एक सरकार, सरकारी अधिकारियों और विशिष्ट लोगों का क्लब जिन्हें "वेल कनेक्टेड पीपल" कहा जाता है। दूसरे वे जो सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए डॉक्टर के पैरों में गिड़गिड़ाते हैं,अपने साथ हुई नाइंसाफी की थाने में शिकायत लिखवाने के लिए दरोगा की गालियाँ सुनते हैं और राशन लेने के लिए प्रधानों की खुशामद करने को मजबूर होते हैं। लोकतंत्र में अगर जनता जनार्दन होती है तो क्या उसके साथ ऐसा बर्ताव न्यायोचित है...पर सच्चाई यही है स्वाभिमान के लिए सर्वस्व अर्पण कर देने वाले महाराणा प्रताप के देश में लोगों को न्याय,स्वास्थ्य और रोजी रोटी के लिए रोज अपने स्वाभिमान को रौंदना पड़ता है।
धर्मसंकट में हूँ, जब से सार्वजनिक और आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश किया तब से पहली बार...एक तरफ कोरोना नामक महामारी है, जो तेज़ी से पैर पसार रही है और बिना भेदभाव के सभी को जकड़ रही है। दूसरी तरफ गरीबी है जो कोरोना बीमारी के बिना ही भूँख से लोगों को अधमरा कर रही है। एक तरफ उनकी भूँख की चिंता है दूसरी तरफ सरकार को लगता है कि हमारे खाना बाँटने से संक्रमण फैलने का खतरा है। खाना खिलाने निकलता हूँ तो संकट से जूझती सरकार की अवज्ञा और नही निकलता हूँ तो अपनी आत्मा की आवाज़ की अनदेखी। भूँख और संक्रमण दोनों पर न मेरा बस है न सरकार का।
पर ऐसा भी नही कि उपाय ही न हों पर बात नीति की नही नीयत की है....लखनऊ में स्वयँसेवी संस्थाओं जो प्रशासन की मदद करना चाहती हैं के लिए एक नम्बर दिया गया था 0522-2629219 जो बजता तो है पर उठता नही है। सरकार और जिलाधकारी महोदय यदि चाहें तो किसी व्यक्ति को फोन उठाने के निर्देश देकर जो लोग उनकी कसौटी पर खरे उतरे उन्हें भूँख से बेहाल लोगों की सेवा में उपयोग कर सकते हैं। लेकिन जिन्हें भूँख की व्याकुलता से परिचय है वही मेरी बात की गम्भीरता को समझेंगे अन्यथा.... मेरा पूरा विश्वास है जिलाधकारी महोदय,न मोदी जी और न योगी जी चाहेंगे कि उनके देश और राज्य की गरीब जनता के बच्चे भूँख सोने और अपनी लाचारी और गरीबी पर रोने को मजबूर हों।
करना ही क्या है एक फोन ही तो उठाना है किसी को...एक व्यवस्थित प्रबंध हो जाएगा। सरकार भी खुश हम भी खुश।
~नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:GiveMyRights)
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विभीषण को कभी कीर्ति नही मिलेगी..यह वाक्य रावण का था राम का नही। लेकिन फिर भी हम विभीषण नाम को कुलद्रोह से जोड़कर देखते हैं,जबकि विभीषण के जीवन का निचोड़ है," बिना भय के उचित परामर्श देना, सत्य के लिए अडिग रहना, विषम परिस्थितियों में भी धर्म से विमुख न होना और मोहादि को छोड़ धर्म का साथ देना।"
मुझे नही पता कि "घर का भेदी लंका ढावै की कहावत किसने रची" लेकिन यह पूर्णतः नकारात्मक कहावत अपने समाज और परिवार की गलतियों को ढ़कने की बात करती है। विभीषण गद्दार नही था। उसने धोखा नही दिया था, उसने अपने भाई को उसकी गलतियों के लिए बार-बार चेताया..उसका कल्याण चाहा। रावण के द्वारा उसे देश निकाला दिए जाने के बाद ही उसने श्री राम की शरण ली,और उन्हें स्वामी मानकर उनका साथ दिया और अपने सेवक धर्म का पालन किया।
यदि अहंकार बुद्धि की अवहेलना करे तो बुद्धि को आत्मा को समर्पित कर देना चाहिए,आत्मा के साक्षात्कार से अहंकार स्वयँ नष्ट हो जाता है। यदि कुल रावण जैसा अहंकारी हो और शत्रु राम सा आत्मज्ञानी हो तो कोई भी सज्जन व्यक्ति वही करेगा जो विभीषण जी ने किया। इसलिए मेरे लिए विभीषण निष्पाप हैं,मित्र हैं,आदरणीय हैं।
~नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:GiveMyRights)
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मुझे गर्व है #GiveMyRights® पर जिसके स्वयँसेवी कार्यकर्ता स्वतःस्फूर्त भाव से कोरोनाकाल में देश की जनता के साथ मज़बूती से खड़े हुए हैं। किसी को अस्पताल से लाना हो, भोजन या राशन की व्यवस्था हो रक्तदान का कार्य हो,दवायें उपलब्ध कराना हो सफाई कर्मियों के परिवारों की चिंता करना हो सरकार द्वारा चलाई जा रही राहत योजनाओं के विषय में जागरूकता फैलाने का काम करना हो हर जगह लगातार अथक परिश्रम से हमारे स्वयँसेवी कार्यकर्ताओं ने सेवा करके संगठन की "कर्तव्य करें-अधिकार माँगे" की विचारधारा को ज़मीन पर उतारा है। एक ऐसे समय में, जब सार्वजनिक जीवन का अर्थ सिर्फ आरोप प्रत्यारोप बन गया है ये युवा समाज को अपने कर्म-योग से आईना दिखाने का काम कर रहे हैं। जिस ऊर्जा से GiveMyRights® बिना किसी भेदभाव के सभी भारतवासियों के साथ खड़ा है वह हर सज्जन को आनन्दित करने वाला है।
इसी क्रम में आज श्री GiveMyRights® के प्रमुख व समर्पित कार्यकर्ताओं ई. रुद्र प्रताप जी, Hasmukh Pandey जी और श्री Kanishk Singh जी के सहयोग से 4 यूनिट रक्तदान किया गया। साथ ही लगातार 45 वें दिन भी राशन वितरण की कमान श्री Georgy Raza जी द्वारा संभाली गयी। आप सभी का आत्मिक अभिनंदन!👍😊
~नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:GiveMyRights)
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मेरे परिवार के दो सदस्यों से मिलिए😊 ..काले वाले मिस्टर "टाइसन" हैं, सफेद वाली "कल्याणी-माता" हैं। इन दोनों के बीच में बैठ कर आंनद लेते हुए मैं ये सोंच रहा हूँ कि क्या वाकई सिर्फ किसी को नीचा दिखाकर ही स्वयँ को ऊँचा उठाया जा सकता है। आजकल कई जगह विमर्श होता है कि लोगों ने पाश्चात्य तौर तरीकों को अपनाकर भारतीय संस्कृति को त्याग दिया है, गाय को छोड़कर कुत्ते पाल लिए हैं। मैं कहता हूँ कि संसार का प्रत्येक कण महत्त्वपूर्ण है। सबके संग और सबके सुख से ही हम सुखी और पूर्ण होते हैं।🙏
~नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:GiveMyRights)
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#GiveMyRights® का मुख्य कार्य अन्याय तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता को जागरूक व एकजुट करना है। लोगों के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध लड़ाई में अधिवक्ता बन्धुओं का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। सौभाग्य से हमारे संगठन को बड़ी संख्या में एक से एक प्रखर अधिवक्ता बंधुओं का सहयोग प्राप्त है।
कोरोना संकट के समय हो रहे महापलायन के समय #GiveMyRights® के कोषाध्यक्ष व स्टेट लॉ ऑफिसर एडवोकेट श्री Vishwajeet Mishra जी, एवं एडवोकेट श्री गोपाल मिश्रा जी ने लखनऊ विश्वविद्यालय के LLB (Hons) 3rd बैच की तरफ से भोजन की व्यवस्था करवाकर GiveMyRights® द्वारा लगातार 47 दिनों से किये जा रहे अन्नदान यज्ञ में सहयोग प्रदान किया।
कानून की मदद से पीड़ित,वंचित और असहाय लोगों के अधिकार दिलवाने के लिए सदैव हमारा साथ देने तथा मानवीय संवेदनाओं के आधार पर आगे आकर कोरोना राहत में हमारा साथ देने के लिए आप दोनों के साथ समस्त अधिवक्ता बन्धुओं आपका अभिनंदन🙏
नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:#GiveMyRights)
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#GiveMyRights® द्वारा विभिन्न जिलों व प्रदेशों से अपने घर लौट रहे लोगों के लिए जल की व्यवस्था की गयी..जिसके अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग कार्यकर्ताओं ने मोर्चा संभाला। सम्पूर्ण विश्व पर आए इस संकट से हम सब तभी जीत पाएंगे जब हम ईमानदारी से अपना अपना कर्तव्य करें।
नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:GiveMyRights)
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भारत को यदि आत्मनिर्भर बनाना है तो भ्रष्टाचार खत्म किये बिना यह संभव नही। किसी भी उद्योग की शुरुआत में लाइसेंस लेने की प्रक्रिया में होने वाला भ्रष्टाचार, ऋण लेने में होने वाला भ्रष्टाचार, क्वालिटी चेक के नाम पर होने वाला भ्रष्टाचार, चुनावी चंदा न देने पर सरकार में आते ही बदले की भावना वाला भ्रष्टाचार आदि इत्यादि के कारण ही हम आज तक आत्मनिर्भर नही बन सके। पहले की सरकारों ने भ्रष्टाचार का पोषण किया तो वर्तमान सरकार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कदम नही उठा पाई है। नीतियां कई बनी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की लेकिन सिर्फ कागज़ी।
सिंगल विंडो सिस्टम की सबसे अधिक आवश्यकता हमारे देश में है क्योंकि यहाँ शिक्षा और जागरूकता की बेहद कमी है। कई लोग तो सरकारी बाबुओं के दफ़्तरों की दौड़ में ही आत्मनिर्भर बनने का सपना छोड़ पराधीनता स्वीकार कर लेते हैं। क्या फर्क पड़ता है शोषण किसके द्वारा किया गया, क्योंकि इसी भ्रष्टाचार से हो रहे शोषण से जनता में "कोउ नृप होय हमें का हानि" की उदासीनता जन्म लेती है जो लोकतंत्र, देश और राष्ट्रीयता के लिए घातक है।
इसलिए मैं दृढ़ता से यह कहता हूँ कि,"यदि वर्तमान में सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर ही पूरी तरह भ्रष्टाचारमुक्त क्रियान्वयन हो जाये तो भारत का हर व्यक्ति आत्मनिर्भर होगा,ये देश भी आत्मनिर्भर होगा।"
लेकिन क्या ये होगा? पहले 70 साल नही हुआ...फिर 6 साल भी नही हुआ...अब भी यदि हम सब भ्रष्टाचार के विरुद्ध जागरूक व संगठित न हुए तो कब होंगे?
#GiveMyRights® ने आप सभी के सहयोग से लगातार 50 दिन सोशल-डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए यथासामर्थ्य कोरोना महामारी के समय जनता और सरकार का साथ देने का प्रयास किया है। पिछले 2 दिनों से सरकार के द्वारा यात्रियों के खाने पीने की जो व्यवस्था की गई वह अत्यंत सन्तोषजनक है। इस मुसीबत के समय में हम सभी को यथाशक्ति सेवाकार्य में जुटे रहना होगा।
नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:#GiveMyRights).
#GiveMyRights® द्वारा भोजन तथा जल वितरण आप सभी के सहयोग से निरंतर जारी।
आज रात्रिकालीन सेवा में श्री Vishwajeet Mishra जी तथा श्री Hasmukh Pandey जी ने सहयोग किया। GiveMyRights® अपने कर्तव्यपथ पर प्रतिबद्धता के साथ अग्रसर है🙏
मंचों का मुझको शौक नही,
मालाओं का श्रृंगार नही।
बस बन जाऊँ शक्ति उनकी,
जिनकी कोई आवाज़ नही।
नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:#GiveMyRights)
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आजकल टेलीविजन पर रामायण और महाभारत जैसे भारत के गौरवशाली इतिहास के ऊपर बनाये गए कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है। एक तरफ मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जीवन चरित है तो दूसरी ओर जगत गुरु योगेश्वर श्रीकृष्ण की शिक्षा।
युवाओं को इन चरित्रों से प्रेरणा लेकर सत्य और धर्म(कर्तव्य) के लिए क्षुद्र स्वार्थों और अहंकार को त्याग कर जगत कल्याण और आत्मा के मोक्ष का मार्ग चुनना चाहिए। कोई भी ज्ञान यदि हमारे चरित्र से न झलके तो व्यर्थ है और ऐसे ज्ञान का कोई अर्थ नही है। इसलिए राम,कृष्ण जैसे आदर्शों को जीवन में उतार कर मानवता के कल्याण में जुट जाने से ही मनुष्य योनि में जन्म लेना सार्थक सिद्ध होगा।
~नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:GiveMyRights)
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पिछले कुछ दिनों में रास्तों पर बढ़े यात्रियों के भोजन आदि की व्यवस्था में सरकार तथा स्वयंसेवी संस्थाओं ने बहुत सुंदर काम किया। #GiveMyRights® की टीम को आज रात 11 बजे पूरे शहर का चक्कर लगाने पर एक भी यात्री भूँखा नही मिला। इसके लिए सभी को धन्यवाद😊...
लेकिन जब हम मुख्य सड़कों से हट कर झुग्गियों और बस्तियों में गए तो वहाँ पता चला कि जो मज़दूर लॉकडाउन जल्द खत्म होने की आशा में अपने गाँवों को नही लौटे हैं उन्हें पिछले कुछ दिनों से भोजन आदि में असुविधा हो रही है। शायद इसका कारण हम सभी का एक समय में एक ही समस्या के निराकरण में जुट जाने वाली प्रवृत्ति हो।
आज लॉकडाउन में 48वीं बार के #GiveMyRights® के भोजन/पानी वितरण का भार श्रीमती Suman Vijay Singh जी ने उठाया तथा वितरण व अन्य सहयोग श्री Vishwajeet Mishra जी तथा Hasmukh Pandey जी ने किया।
नरेंद्र विक्रम
(संस्थापक:#GiveMyRights)
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नरेंद्र विक्रम -GIVE MY RIGHTS
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AYUSH- SPREAD POSITIVITY
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5 comments:
आयुष जी आपके द्वारा समाज को झूँठ से बचाने और लोगों के द्वारा किये जा रहे समाजहित के कामों को दिखाकर अन्य लोंगों को प्रेरित करने का यह निःस्वार्थ कार्य आपकी उदारता और सहृदयता का परिचायक है। मैं पूरी GiveMyRights® की ओर से आपको धन्यवाद प्रेषित करता हूँ।
आयुष जी आपके द्वारा समाज को झूँठ से बचाने और लोगों के द्वारा किये जा रहे समाजहित के कामों को दिखाकर अन्य लोंगों को प्रेरित करने का यह निःस्वार्थ कार्य आपकी उदारता और सहृदयता का परिचायक है। मैं पूरी GiveMyRights® की ओर से आपको धन्यवाद प्रेषित करता हूँ।
नरेंद्र जी भाई साहब आपका कार्य अतुलनीय है । हमने भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित नाटकभारतवर्षोउन्नती पढा है चूंकि हिंदी अध्य्यापक हूँ उसमे उन्होंने कहा कि हमारे देश रेल के बहुत अच्छे अच्छे डिब्बे तो है परन्तु रेल का इंजन बनने को कोई तैयार नही । आप बिल्कुल इंजन का काम कर रहे हैं। ईश्वर आपको इससे ज्यादा शक्ति सामर्थ्य प्रदान करे ।
Acche kaam khushboo ki tarah failne chahiye!
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