#घिबली आर्ट (#Ghibli Art) की लोकप्रियता हाल के दिनों में बहुत बढ़ गई है, खासकर AI टूल्स जैसे #ChatGPT के जरिए इसे आसानी से बनाया जा सकता है। हालाँकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। नीचे घिबली आर्ट के कुछ प्रमुख #नुकसानों को हिंदी में बताया गया है:
- कला की मौलिकता में कमी: घिबली आर्ट को परंपरागत रूप से हाथ से बनाया जाता था, जिसमें महीनों या सालों की मेहनत लगती थी। AI के जरिए इसे कुछ सेकंड में बनाना कला की उस गहराई और मेहनत को कम कर देता है, जिसके लिए स्टूडियो घिबली मशहूर है। इससे मौलिकता और आत्मा का अभाव हो जाता है।
- कलाकारों के प्रयासों का अनादर: जो कलाकार सालों से हाथ से घिबली स्टाइल में काम करते हैं, उनके लिए AI-जनरेटेड आर्ट एक तरह से उनकी मेहनत का अपमान हो सकता है। यह ट्रेंड असली कलाकारों की कद्र को कम कर सकता है।
- गोपनीयता का खतरा: AI टूल्स में अपनी निजी तस्वीरें अपलोड करने से डेटा प्राइवेसी का जोखिम बढ़ जाता है। ये तस्वीरें AI को ट्रेन करने के लिए इस्तेमाल हो सकती हैं, और आपका उस डेटा पर नियंत्रण खत्म हो सकता है।
- सांस्कृतिक सटीकता की कमी: घिबली स्टाइल जापानी संस्कृति से गहरे जुड़ा है, लेकिन AI इसे हर तस्वीर पर लागू करते समय सांस्कृतिक संदर्भों को नजरअंदाज कर सकता है। उदाहरण के लिए, ऐतिहासिक शख्सियतों या स्थानीय पहचान को गलत तरीके से दिखाया जा सकता है।
- भावनात्मक गहराई का अभाव: घिबली फिल्मों की खासियत उनकी भावनात्मक कहानियाँ और किरदारों की गहराई है। AI से बनी तस्वीरें दिखने में खूबसूरत हो सकती हैं, लेकिन उनमें वो भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता जो हाथ से बनी कला में होता है।
- अति प्रयोग से एकरसता: सोशल मीडिया पर हर कोई घिबली स्टाइल की तस्वीरें बना रहा है, जिससे यह ट्रेंड जल्दी ही आम और उबाऊ हो सकता है। इससे इसकी खासियत कम हो जाती है।
- कॉपीराइट और नैतिकता के सवाल: घिबली स्टाइल को AI से कॉपी करना कॉपीराइट उल्लंघन का मुद्दा उठा सकता है। स्टूडियो घिबली के को-फाउंडर हयाओ मियाज़ाकी ने भी AI-जनरेटेड कला को "जीवन का अपमान" कहा है, जो इसकी नैतिकता पर सवाल खड़ा करता है।
इन नुकसानों के बावजूद, घिबली आर्ट का ट्रेंड लोगों को कला के प्रति जागरूक करने में मदद कर रहा है। लेकिन इसे इस्तेमाल करते समय सावधानी और सम्मान जरूरी है।
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