हैसियत हो पढ़ाने की तभी बच्चे पैदा करना ,
यूँ ढाबों पर काम करते हुए बच्चे देखे नहीं जाते !
ये मेरा पोस्ट उन सभी लोगो तक पहुंचाने की कोशिश जरूर कीजिएगा जो की बाप या पिता बनने की उम्मीद पालते हैं...उन लोगो से यह बताइयेगा की इतना सक्षम जरूर बनने की कोशिश करे वे कि अपने आने वाले बच्चे को खुशियां दे सके और उन्हें अच्छे से पढ़ा सके...अक्सर कॉलेज इंटरवल में जब मैं रेस्टोरेंट में कदम रखता हूँ तो एक छोटू मिल जाता है.... 10 साल का बच्चा जिसकी पढ़ने की उम्र है वो बड़े-बड़े काम कर रहा हैं....डांट सहता है पर कुछ नहीं कहता !
उसकी क्या गलती है क्यों उसका बचपना छीना जा रहा है उससे, उसके माँ-बाप जो गरीबी का हवाला देते हैं क्यों नहीं सोचते की उनके बच्चे कितना सहते हैं..
पहले इतना बन जाओ की आने वाली जिंदगी को खुशियां दे सको..तब बाप बनने के बारे में सोचना..
वो भूके पेट सो गया यारो,
जिसे भरपेट खाना मिलना था..
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