उसकी ऐड़ी पर्वत चोटी लगती है,
माँ के पाँव से जन्नत भी छोटी लगती है। ❤
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा।
हादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें,
ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर बनाना छोड़ दें..
-तहज़ीब मेरे मुल्क की क्या कहिए जनाब!!
यहाँ बेटी, गुड़िया भी ख़रीदे तो.....दुपटटा साथ लेती है!!
-जल जीता, जीता गगन और जीत लिया संसार लेकिन जब तक दिल न जीत सके, सब जीत है बेकार..
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