मैं इश्क हूँ, मैं रिस्क हूँ..
मैं खुद खुदी में लिप्त हूँ..
मै राम हूँ, मै श्याम हूँ..
मैं घन और घनश्याम हूँ..
मैं इश्क हूँ..
मैं खुद खुदी में लिप्त हूँ..
मै राम हूँ, मै श्याम हूँ..
मैं घन और घनश्याम हूँ..
मैं इश्क हूँ..
मैं पुण्य का इक द्वार हूँ, आशीष का अंबार हूँ..
मै शाप को भी शाप दूं, मैं खुद खुदी को भांप लूँ..
मैं इश्क हूँ..
मै शाप को भी शाप दूं, मैं खुद खुदी को भांप लूँ..
मैं इश्क हूँ..
मैं वक्त हूँ, मैं भक्त हूँ..
मैं हर शरी की रक्त हूँ..
मैं इश्क हूँ..
मैं हर शरी की रक्त हूँ..
मैं इश्क हूँ..
मैं बली हूँ, मैं खली हूँ,
भले पुष्प की इक कली हूँ..
मैं इश्क हूँ...
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भले पुष्प की इक कली हूँ..
मैं इश्क हूँ...
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खुद ही खुदा है तू, हर इक अदा है तू
हर इक दुआओं में इक ही दुआ है तू।
अपने सम्मान से, अपने आन-मान से
सबके जुबा की इक ही बया है तू।
हर इक दुआओं में इक ही दुआ है तू।
अपने सम्मान से, अपने आन-मान से
सबके जुबा की इक ही बया है तू।
खुद ही खुदा है तू, हर इक अदा है तू
हर इक दुआओं में इक ही दुआ है तू।
अपने सम्मान से, अपने आन-मान से
सबके जुबा की इक ही बया है तू।
हर इक दुआओं में इक ही दुआ है तू।
अपने सम्मान से, अपने आन-मान से
सबके जुबा की इक ही बया है तू।
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माझी तेरी कशती के तलबगार बहुत है,
इस पार कुछ मगर उस पार बहुत है,
जिस शहर में खोली है तू ने शीशे की दुकान,
उस शहर में पत्थर के खरीदार बहुत है।
इस पार कुछ मगर उस पार बहुत है,
जिस शहर में खोली है तू ने शीशे की दुकान,
उस शहर में पत्थर के खरीदार बहुत है।
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तू हौसला बुलंद कर, बूलांदियों पे जायेगा
ना रोकने वाला हुआ, ना कोई रोक पायेगा
तू जायेगा, तू जायेगा, जो चाहेगा वो पायेगा
तू हौसला बुलंद ....................................
ना रोकने वाला हुआ, ना कोई रोक पायेगा
तू जायेगा, तू जायेगा, जो चाहेगा वो पायेगा
तू हौसला बुलंद ....................................
जो रोकना चाहे तुम्ह , उसकी जबां को खीँच ले..
उठा खड़ग -तलवार तू ,उसकी भूजा मे खोप दे..
तू हौसला बुलंद ............................................
समझ ले तू शेर है ,तुझसा ना कोई वीर है
उठा खड़ग -तलवार तू ,उसकी भूजा मे खोप दे..
तू हौसला बुलंद ............................................
समझ ले तू शेर है ,तुझसा ना कोई वीर है
तू गार्जना करता हुआ जब कभी भी आयेगा , रास्ते मे तेरे भगवान भी ना आयेगा
तू हौसला बुलंद ....................................
तू हौसला बुलंद ....................................
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तुम दूर रहकर भी इस कदर नजर आओगे
,मेरे ख्वाबों की दुनिया में इक सपना सा सज जाओगे,
तुम इस तरह जब-जब मुझे तडपाओगे,
तुम छितिज पर जमी-ऑसमा का मिलन भी न देख पाओगे।
,मेरे ख्वाबों की दुनिया में इक सपना सा सज जाओगे,
तुम इस तरह जब-जब मुझे तडपाओगे,
तुम छितिज पर जमी-ऑसमा का मिलन भी न देख पाओगे।
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तुम दूर रहकर भी इस कदर नजर आओगे
,मेरे ख्वाबों की दुनिया में इक सपना सा सज जाओगे,
तुम इस तरह जब-जब मुझे तडपाओगे,
तुम छितिज पर जमी-ऑसमा का मिलन भी न देख पाओगे।
,मेरे ख्वाबों की दुनिया में इक सपना सा सज जाओगे,
तुम इस तरह जब-जब मुझे तडपाओगे,
तुम छितिज पर जमी-ऑसमा का मिलन भी न देख पाओगे।
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-सुजीत गुप्ता
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